बोलने के लिए दवाएं – bolane ke liye dawai
हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब लोग , मैं ऐसा करता हूं कि आप सभी लोग कुशल होंगे । दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बोलने की दवा के बारे में बताइए । दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बोलने के लिए दवाएं – bolane ke liye dawai कौन – सी होती है , इस बारे में बताएंगे । अगर दोस्तों आप भी बोलने के लिए दवाएं – bolane ke liye dawai के बारे में जानना चाहते हैं , तो आप हमारे आज के इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक पूरा जरूर पढ़ें ।
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बोलने की दवा के बारे में बताइए । दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बोलने के लिए दवाएं – bolane ke liye dawai कौन – सी होती है , इस बारे में बताएंगे ।
इसके अलावा दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बच्चों के बोलने की सही उम्र , ऑटिज्म का होम्योपैथिक इलाज , क्रोध और चिड़चिड़ापन के लिए होम्योपैथिक उपचार , बच्चे का देर से बोलने का कारण , नवजात शिशु के लिए होम्योपैथिक दवा , सांप बोलने की दवा , ढाई साल के बच्चे को बोलना कैसे सिखाएं और 3 साल के बच्चे को बोलना कैसे सिखाएं इन सब के बारे में विस्तार से बताएंगे । अगर दोस्तों आप भी इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हो , तो आप हमारे आज के इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक पूरा जरूर पढ़ें । तो चलिए शुरू करते हैं , आज के इस शानदार आर्टिकल को स्टार्ट –
बोलने के लिए दवाएं – bolane ke liye dawai
बोलने के लिए दवाएं – bolane ke liye dawai
भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कई सारे ऐसे लोग हैं , जो सही से नहीं बोल पाते हैं । वह लोग हक लाते हैं , या तुत लाते हैं । लेकिन दोस्तों यह कोई बीमारी नहीं है , यह बस एक हैबिट है , जो लोगों में पड़ जाती हैं । इसे आसानी से और कुछ ही उपचार से ठीक किया जा सकता है । दोस्तों हकलाना और तुतलाना दोनों अलग-अलग होते हैं । हकलाना और तुतलाना के बारे में आइए हम विस्तार से जानते हैं –
हकलाना Stammer –
हकलाना से तात्पर्य है , कि एक ही शब्द को बार-बार बोलना । जब कोई व्यक्ति किसी वाक्य को एक बार में ही पूरा नाम बोल पाता है और उसे बार-बार रिपीट करें तो उसे हकलाना कहते हैं । जैसे – मैं जा जा जा रहा हूं ।
तुतलाना lisp –
तुतलाना से तात्पर्य है , कि सही अर्थ ना निकलना । जब कोई व्यक्ति किसी वाक्य को बोलता है और अगर उसका सही उच्चारण नहीं निकलता है , तो उसे तुतलाना कहते हैं । जैसे राम राम को लाम लाम बोलना ।
उपाय –
हकलाना और तुतलाना की समस्या को यदि आप खत्म करना चाहते हैं , जड़ से मिटाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको एक बहुत ही असरदार घरेलू नुस्खा बताता हूं । जिसकी मदद से आप आसानी से हकलाना तुतलाना की समस्या को खत्म कर सकते हैं । इस नुस्खे को करने के लिए आपको 10 बादाम को रात को सोते समय पानी में डाल देना है और सुबह इन्हीं बादाम के छिलके छीन लेना है और 30 ग्राम दही के साथ इसका सेवन करना है । अगर आप नियमित रूप से इस घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल करते हैं , तो निश्चित ही आपकी तुतलाना और हकलाना की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी ।
बच्चों के बोलने की सही उम्र –
सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं , इसलिए सभी बच्चे सामान वर्षों में नहीं बोल पाता है । वहीं लड़कियां जल्दी बोलना और चलना सीखते हैं , वही लड़के बाद में बोलना और चलना सिखाते हैं । सामान्य तौर पर 1 साल से ज्यादा उम्र वाला बच्चा बोलना शुरू कर देता है । लेकिन वह कुछ शब्द बोल पाता है , जैसे मम्मी – पापा आदि । बच्चों के बोलने की सही उम्र 1 से 2 वर्ष के बीच की होती है । 1 से 2 वर्ष के भीतर सभी बच्चे बोलने लगते हैं ।
ऑटिज्म का होम्योपैथिक इलाज –
ऑटिज्म ब्रेन के विकास में बाधा डालने और ब्रेन के विकास के दौरान होने वाला एक रोग है । ऑटिज्म के अंदर मरीज अपने खुद के विचारों में खोया रहता है , वह बाहरी दुनिया से अनजान रहता है । ऑटिज्म कहीं तरह के होते हैं और सभी का अलग-अलग दवाइयों से उपचार किया जाता है । लेकिन कुछ दवाइयां हैं , जो ज्यादातर मरीजों को दी जाती है । जिनमे से प्रमुख Borax 30 CH , Calcarea Carb 30 CH , Baryta Carb 30CH हैं । लेकिन दोस्तों आपको इनमें से कौन सी भी दवाई का इस्तेमाल करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए ।
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क्रोध और चिड़चिड़ापन के लिए होम्योपैथिक उपचार –
कभी-कभी क्रोध आ जाना और चिड़चिड़ा हो जाना यह आम बात है । लेकिन अगर कोई व्यक्ति हमेशा ही क्रोध में वो चिड़चिड़ापन में रहता है , तो उसको उपचार की जरूरत है । क्रोध और चिड़चिड़ापन के लिए होम्योपैथिक उपचार में CHAMOMILLA 200CH दी जाती है । सुबह खाली पेट CHAMOMILLA 200CH की चार बंदे पीने से क्रोध और चिड़चिड़ापन को खत्म किया जा सकता है । लगातार तीन 30 से 35 दिन तक CHAMOMILLA 200CH इस्तेमाल करने से क्रोध और चिड़चिड़ापन खत्म होने लगता है । इसका इस्तेमाल करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले ।
बच्चे का देर से बोलने का कारण –
बच्चों के देर से बोलने के कई कारण हो सकते हैं , लेकिन उनमें से जो सबसे प्रमुख कारण माना जाता है वह होता है कम्युनिकेशन । जब माता-पिता अपने बेटे को समय नहीं दे पाते हैं , उसके सामने या उससे बात नहीं करते हैं तो उसको नए शब्द नहीं सुनाई देते हैं । इसलिए भी वह देर से बोलना शुरू करता है ।
इसके अलावा दूसरा जो सबसे बड़ा कारण है वही ईयर इन्फेक्शन । ईयर इन्फेक्शन के कारण भी कई सारे बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं , क्योंकि ईयर इन्फेक्शन के कारण उनको कुछ सुनाई नहीं देता है , ऐसे में वह नहीं शब्द नही सीख पाते हैं । इसके अलावा और भी कई सारे कारण हैं ,बच्चों के देर से बोलने के ।
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नवजात शिशु के लिए होम्योपैथिक दवा –
नवजात शिशु को होम्योपैथिक दवाइयां देनी चाहिए या नहीं इस बारे में कई सारे लोग पूछते हैं । तो मैं आपको बता दूं , कि हां आप लोग नवजात शिशु को होम्योपैथिक दवाइयां दे सकते हैं , लेकिन डॉक्टर की सलाह पर । होम्योपैथिक दवाइयों के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं और साथ ही साथ बच्चों की इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करने का काम भी करते हैं । जिससे की बच्चे कई सारे रोगों से लड़ पाते हैं , और कम बीमार होते हैं ।
ढाई साल के बच्चे को बोलना कैसे सिखाएं –
बच्चों को बोलना सिखाने के लिए सबसे अच्छा , आसान व सरल उपाय यह है , कि आप बच्चे के सामने या बच्चे से ज्यादा से ज्यादा बातें करें । नई-नई शब्द को उसके सामने बोले या उसे बुलाने की कोशिश करें । अगर आप बच्चे के सामने हर बार नए शब्द बोलेंगे और बच्चे से उन शब्दों को बुलाने की कोशिश करेंगे तो निश्चित है आपका बच्चा धीरे धीरे बोलना शुरू कर देगा ।
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3 साल के बच्चे को बोलना कैसे सिखाएं –
अगर बच्चा 3 साल का हो जाता है तो वह चीजों को समझने लगता है और उसे जो वस्तु या चीज चाहिए उसे इशारे से बताता है , तो आपको उस बच्चे के इशारे को इग्नोर करना है और उसे बताना किस इस वस्तु या चीज का यह नाम है । वह फिर दोबारा जब आपसे इशारे में किसी भी चीज को मांगे तो आपको इशारे को इग्नोर करना है और उस वस्तु का नाम या उससे बच्चे से बार-बार बुलवाना जिससे कि वह बच्चा जल्दी से जल्दी बोलना सीखेगा ।
निष्कर्ष –
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बोलने की दवा के बारे में बताइए । दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बोलने के लिए दवाएं – bolane ke liye dawai कौन – सी होती है , इस बारे में बताएंगे । इसके अलावा भी दोस्तों आज किस आर्टिकल में हमने आपको बोलने व बच्चों से संबंधित अन्य कोई महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में बताया है ।
दोस्तों वैसे सामान्य तौर पर बच्चे 1 से 2 साल के बीच में मम्मी पापा या कुछ और सामान्य शब्द बोलना शुरू कर देते हैं । लेकिन अगर कोई बच्चा 2 साल के बाद भी मम्मी पापा तक ना कर सके , तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए । की क्या वजह हो सकती हैं , आपके बच्चे के बिल्कुल भी ना बोलने की और डॉक्टर की सलाह पर उपचार शुरू करवाना चाहिए , जिससे कि समय रहते हैं बच्चे बोल सके ।
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