गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ? – gopiyon ke anusar raja ka dharm kya hona chahie

हेलो दोस्तो कैसे है आप सब लोग ? में आसा करता हूं कि आप सब कुशल होंगे । आज के इस आर्टिकल में हम हम यह जानेंगे कि गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ? gopiyon ke anusar raja ka dharm kya hona chahie – अगर आप भी जानना चाहते है कि गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए तो इस आर्टिकल को पूरा पड़ेे ।

आज के इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ? सूरदास जी के इस पद का पूरा विवरण हिंदी में बताएंगे । अगर आप को भी नहीं पता कि गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ? और सूरदास कोन थे ? तो इस आर्टिकल को पूरा ध्यान पूर्वक पड़े । तो चलिए करते हैं आज के इस आर्टिकल को स्टार्ट –

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?

सूरदास जी कोन थे ? –

सूरदास जी कृष्ण भक्ति मार्ग के सबसे प्रमुख कई है । सूरदास जी ने आपने जीवन बस श्री कृष्ण कि कि आराधना में ही दिताया है । सूरदास जी लेखक के साथ – साथ गायकी भी करते थे । सूरदास जी का गुरु वल्लभाचार्य को माना जाता हैं । ऐसा माना जाता हैं की वल्लाचार्य ने ही उने कृष्ण भक्ति मार्ग का रास्ता दिखाया था । वललभाचार्य के कहने के बाद सूरदास जी ने अपना पूरा जीवन श्री कृष्ण भक्ति मार्ग में ही व्यतीत किया ।

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सूरदास जी ने आम जनता को भी श्री कृष्ण कि भक्ति कि और लेने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई हैं । सूरदास जी ने श्री कृष्ण कि बाल छवि का कुछ इस प्रकार वर्णन किया कि आम जन मानस खुद को रोक नहीं पाए खुद को श्री कृष्ण कि भक्ति के मार्ग पर जाने से । सूरदास जी ने श्री कृष्ण कि बाल लीलाओं के साथ – साथ माता यशोदा के प्रेम को भी कुछ इस प्रकार वर्णन किया कि आम जन मानस खिचा चला गया उन कि और।

सूरदास जी के बारे में माना जाता है कि वो पचपन से ही नेत्र हिन थे । लेकिन कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने उन के आखे कि रोशनी दे दी थी । पर सूरदास जी ने श्री कृष्ण को देखने के बाद भीर से श्री कृष्ण से नेत्र हिन होने कि मांग कि थी । सूरदास जी का कहना था कि जिन आंखो से अनोन भगवान श्री कृष्ण के दर्शन किए उन से अब वो कुछ ओर नहीं देखना चाहते हैं।

सूरदास जी का कहना था कि जब उन के आप आंखे नहीं थी तब वह अंतर मन से सिर्फ भगवान श्री कृष्ण के ही दर्शन करते थे तो उन्हें यह आशंका थी कि वो दुनिया को देखने के चकर में भगवान को ना भूल जाए इस लिए सूरदास जी ने भगवान श्री कृष्ण से वरदान मांगा कि उन्हें पुनः नेत्र हिन बना दे । ताकि वह श्री कृष्ण के अलावा किसी ओर को ना देख सके ।

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ? – gopiyon ke anusar raja ka dharm kya hona chahie –

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ? – gopiyon ke anusar raja ka dharm kya hona chahie – सूरदास जी के इस कथन पर कई लोगो का अलग – अलग मत है पर आज हम आप को बताएंगे कि इस कथन का सई मतलब क्या होता हैं । इस कथन के अनुशार कवि सूरदास जी कहना चाहते है कि गोपियों कि एक राजा से क्या अपेक्षा होती हैं , और राजा क्या करे कि वो गोपियों कि आसाओं पर खरा उतरे ।

इस कथन मे गोपियों कहना चाहती है कि एक सच्चा राजा वहीं होता है जो प्रजा के बीच आकर उनके सुख – दुःख में सह भागीदारी बने। एक राजा का यह धर्म होता है कि वो किसी का भी पक्ष्य लिए बगैर नियाय करे ।इस के अलावा राजा को जन हित के लिए कार्य करने चाहिए । जब कोई राजा बनता है तो उस का कोई नारी रहता है उस का पूर्ण जीवन इस राज्य कि प्रजा का हो जाता हैं ।

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गोपियों के अनुसार राजा का धर्म होता है कि वो प्रजा का सह भागी बने । प्रजा का हर तरीके से साथ दे व अपने राष्ट्र के हित मे काम करे । उस राष्ट्र कि जनता पर आने वाले कर दुःख को उस राजा को खुद को अनुभव करना चाहिए जिससे उस राष्ट्र कि जनता ओर राजा के बीच पारस्परिक संबंध बन सके ओर जनता निसंकोच अपने दुखो को राजा को बता सके ।

निष्कर्ष –

आज के इस आर्टिकल में हमने बताया है कि सूरदास जी को थे , सूरदास जी के बारे में हमने पूरे विस्तार से बताया है । साथ – ही – साथ यह भी बताया कि सूरदास जी के जुरू कोन थे । इस के अलावा यह भी बताया कि गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए । और यह भी बताया है कि कैसे एक राजा अपनी जनता को सुखी रख सकता है।

इस बात मे कोई सन्देह नहीं है कि सूरदास जी भारतीय इतिहास के प्रमुख कवियों में से है । सूरदास जी को श्री कृष्ण भक्ति मार्ग के सर्वश्रेष्ठ कवियों मे माना जाता हैं । सूरदास जी ने समाज हित के लिए भी अनेक रचनाए लिखी हैं । सूरदास जी का कल भारतीय इतिहास के लिए एक गौरव पूर्ण इतिहास रहा हैं । और भारत के लिए भी यह एक गौरव कि बात हैं कि सूरदास जी जैसे महान क्रांतिकारी एवम् समाज सुधारक कवि ने हमारे देश में जन्म लिया ।

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